अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ और अन्य देशों से भारत पर प्रतिबंध लगाने की अपील ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नया मोड़ दे दिया है। हालांकि इस कड़ी में जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के बयान और भारत दौरे ने अमेरिका की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
ट्रंप की टैरिफ नीति से नाराजगी और दबाव
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए न सिर्फ टैरिफ बढ़ाए, बल्कि यूरोपीय देशों से भी भारत पर आर्थिक दबाव बनाने की मांग की है। अमेरिका चाहता है कि यूरोप भारत से आयात बंद करे और टैरिफ बढ़ाकर भारत को आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दे। ट्रंप प्रशासन का यह कदम भारत की रूस और चीन से बढ़ती नजदीकियों को रोकने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
लेकिन इस रणनीति को झटका तब लगा जब जर्मनी ने इस अमेरिकी रुख का समर्थन करने से इनकार कर दिया।
जर्मन विदेश मंत्री का बड़ा बयान, अमेरिका को झटका
जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल अपने भारत दौरे पर आने से पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका देश भारत को "हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रमुख साझेदार" के रूप में देखता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा:
"भारत के साथ हमारे राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध मजबूत हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी के विस्तार की अपार संभावनाएं हैं, जिसमें सुरक्षा, तकनीक और कुशल श्रमिकों की भर्ती शामिल है।"
यह बयान साफ दर्शाता है कि जर्मनी भारत को अलग-थलग करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहता।
बेंगलुरु और ISRO दौरे से संदेश
वेडफुल की भारत यात्रा की शुरुआत बेंगलुरु में ISRO के दौरे से होगी। इसके बाद वह नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे। यह यात्रा सिर्फ कूटनीतिक शिष्टाचार नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच तकनीकी और रक्षा सहयोग को गहराने की दिशा में बड़ा कदम है।
जर्मनी का यह रुख अमेरिका के लिए एक राजनयिक झटका है, जो चाहता था कि यूरोप भारत पर आर्थिक दबाव बनाए।
भारत की वैश्विक भूमिका पर जोर
वेडफुल ने आगे कहा कि:
"भारत आज की वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहा है। एक लोकतंत्र के रूप में वह हमारा स्वाभाविक साझेदार है। हमें मिलकर नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था की रक्षा करनी चाहिए।"
यह बयान भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्थिति को और मजबूत करता है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका भारत को रूस से दूर करना चाहता है।
निष्कर्ष: बदलते समीकरण, भारत की रणनीतिक जीत
जहां अमेरिका भारत को दबाव में लाकर अपने खेमे में लाना चाहता है, वहीं जर्मनी जैसे शक्तिशाली यूरोपीय देश भारत के साथ गहराई से साझेदारी बढ़ाने में रुचि दिखा रहे हैं। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ एक विकासशील देश नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर एक निर्णायक शक्ति बनकर उभर रहा है।
ट्रंप की टैरिफ नीति भले ही भारत के खिलाफ हो, लेकिन जर्मनी की सकारात्मक पहल यह बताती है कि दुनिया भारत के साथ खड़ी है — और यह अमेरिका के लिए एक स्पष्ट और कड़ा संदेश है।