पाल में सोशल मीडिया पर बैन और सरकार के खिलाफ युवा वर्ग, विशेष रूप से 'Gen-Z' द्वारा शुरू किए गए आंदोलन ने अब हिंसक रूप ले लिया है। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हुई हैं, जिसमें 19 लोगों की मौत और 347 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। इस उग्र स्थिति के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बड़ा बयान देते हुए सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध को हटाने से साफ इनकार कर दिया है।
ओली बोले: “इस्तीफा दे दूंगा, लेकिन बैन नहीं हटाऊंगा”
सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ओली ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “मैं इस्तीफा दे दूंगा लेकिन सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध नहीं हटाऊंगा। मैं Gen-Z उग्रवादियों के आगे नहीं झुकूंगा।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया और इसे लेकर देश में और भी गुस्सा फैल गया।
ओली ने दावा किया कि आंदोलन में घुसपैठियों की भी भूमिका है जो हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साथ ही यह भी घोषणा की कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी।
गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा
ओली के इस बयान से कुछ ही समय पहले नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। उनका कहना था कि वह प्रदर्शन को शांतिपूर्वक संभाल नहीं पाए, इसलिए वह अपना पद छोड़ रहे हैं। लेखक का इस्तीफा सरकार पर जनदबाव का संकेत माना जा रहा है।
कैसे भड़की हिंसा?
पूरा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब नेपाल सरकार ने देशभर में सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। सरकार ने तर्क दिया कि इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए हो रहा है, लेकिन आम जनता, विशेषकर युवाओं में यह फैसला बेहद अलोकप्रिय साबित हुआ।
8 सितंबर को काठमांडू में बड़ी संख्या में युवाओं ने विरोध मार्च का आह्वान किया। सुबह से ही हजारों लोग राजधानी की सड़कों पर उतर आए। भीड़ संसद भवन की ओर बढ़ने लगी। पुलिस ने पहले शांतिपूर्वक रोकने की कोशिश की लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। देखते ही देखते माहौल हिंसक झड़पों में बदल गया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और कई स्थानों पर लाठीचार्ज भी किया। हालात इतने बिगड़ गए कि काठमांडू में कर्फ्यू लागू करना पड़ा और सड़कों पर सेना तैनात करनी पड़ी।
जनता का गुस्सा और सरकार का रवैया
नेपाल के 'Gen-Z' युवाओं का कहना है कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। उनका मानना है कि सोशल मीडिया न केवल उनके विचारों को साझा करने का मंच है, बल्कि भ्रष्टाचार और अन्य सामाजिक मुद्दों को उजागर करने का भी एक जरिया है। लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताकर बैन के पक्ष में खड़ी है।
आगे क्या?
प्रधानमंत्री ओली की जिद और जनता की नाराजगी के बीच नेपाल एक बड़े राजनीतिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। जहां एक ओर लोग ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार हिंसा के लिए प्रदर्शनकारियों को जिम्मेदार ठहरा रही है।
अभी यह साफ नहीं है कि यह टकराव किस दिशा में जाएगा, लेकिन इतना तय है कि नेपाल के लोकतंत्र, युवाओं और नेतृत्व के बीच का यह संघर्ष आने वाले दिनों में और भी बड़ा रूप ले सकता है।