सनातन धर्म के लोगों के लिए भाद्रपद माह का विशेष महत्व है। इस दौरान आने वाली तिथि पर पूजा और व्रत करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या व्रत भाद्रपद माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय करना भी लाभकारी होता है। आइए जानते हैं कि यह भाद्रपद अमावस्या व्रत कब रखा जाएगा और उस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है, जिसमें पूजा-पाठ करने से व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकता है।
भाद्रपद अमावस्या कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर 2024 को प्रातः 05:21 बजे प्रारंभ होकर 03 सितंबर 2024 को प्रातः 07:24 बजे समाप्त होगी। ऐसे में भाद्रपद अमावस्या व्रत उदयातिथि के आधार पर 2 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा। भाद्रपद अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जा सकता है।
पूजा का शुभ समय क्या है?
भाद्रपद अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का शुभ समय प्रातः 04:29 बजे से प्रातः 05:15 बजे तक है। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:46 बजे तक है।
2 शुभ योग से बना महासंयोग
भाद्रपद अमावस्या के दिन कई सालों बाद 2 शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन सूर्योदय से शाम 06:20 बजे तक शिव योग है, उसके बाद सिद्ध योग लगेगा. शिव योग में पूजा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा इस दौरान तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है।
भाद्रपद अमावस्या के उपाय
भाद्रपद अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है। इससे कुंडली में कमजोर ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
अगर शादीशुदा लोग भाद्रपद अमावस्या के दिन व्रत रखें तो उनके वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही पार्टनर के साथ रिश्ता भी मजबूत होता है।
भाद्रपद अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण करना शुभ माना जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने के तुरंत बाद शिव योग में तर्पण करें और पितरों को सफेद फूल, कुशा और काले तिल अर्पित करें।