तुलसी के पौधे को सनातन धर्म में सबसे शुभ पौधों में से एक माना जाता है। आप हर हिंदू घर में कम से कम एक तुलसी का पौधा पा सकते हैं। भगवान श्री विष्णु के भोग में तुलसी की विशेष उपस्थिति है। औषधीय गुणों के कारण इसकी तुलना अमृत से की जाती है। हालांकि, अलग-अलग कारणों से यह पौधा सूख जाता है या इसमें कीड़े लग जाते हैं जो पौधे को नष्ट कर देते हैं। ऐसे में इस पवित्र पौधे का संरक्षण बेहद जरूरी है। तुलसी के पौधे को बचाने के लिए यहां कुछ प्राकृतिक उपाय दिए गए हैं।
पानी की उचित मात्रा तुलसी के पौधे के लिए अधिक नमी अच्छी नहीं होती है। पौधे में पानी अधिक जमा होने से इसकी पत्तियाँ गिरने लगती हैं और पौधा सूखने लगता है। मिट्टी को तुलसी के पौधे से 15 सेमी की दूरी पर 20 सेमी की गहराई तक खोदें। जब आपको जड़ों में अधिक नमी दिखाई दे तो उसमें सूखी मिट्टी और बालू भर दें। इससे पौधे की जड़ों को हवा मिलेगी और पौधा सांस ले सकेगा।
तेज धूप से दूर रहें: पौधों के लिए धूप बहुत जरूरी होती है लेकिन इसकी अधिकता पौधे को बुरी तरह प्रभावित करती है, खासकर गर्मियों के दिनों में। इसलिए अपने तुलसी के पौधे को तेज धूप से दूर रखें।
नीम पाउडर: नमी के कारण पौधे में फंगल इंफेक्शन हो सकता है। इन संक्रमणों से छुटकारा पाने के लिए। इसके लिए नीम के पाउडर का इस्तेमाल करें। इससे फंगल इंफेक्शन की समस्या दूर हो जाएगी। तुलसी के पौधे को अधिक पानी या देखभाल की आवश्यकता नहीं होती है, यह कम पानी, कम धूप और कम हवा में भी बढ़ता है, लेकिन अगर पौधा सूखने लगा है और आपको इसका कारण समझ में नहीं आ रहा है, तो तुरंत इसे नीम की पत्तियों या पाउडर का प्रयोग करें। इसके लिए नीम की सूखी पत्तियां लें और पौधे को सूखने से बचाने के लिए सिर्फ दो चम्मच पाउडर ही पौधे में डालें।
धुएं और तेल से दूर रखें तुलसी के पौधे को धुएं और तेल से दूर रखें। इसके पत्ते रोज मत तोड़ो। अगर आप पूजा करते समय पौधे के पास दीपक और अगरबत्ती रखते हैं तो इससे पौधा खराब हो सकता है। इसे पौधे से कुछ दूरी पर रखें।
उचित देखभाल: इसके अलावा तुलसी के बर्तन के ऊपर से जाने वाले तार में सुखाने के लिए किसी भी तरह का कपड़ा नहीं फैलाना चाहिए। इसके आसपास कोई भी अशुद्ध वस्तु, सामग्री या कपड़ा न रखें। परंपरा के अनुसार मंगलवार और रविवार को इसके पत्ते नहीं तोड़ें।