भारत में कई रहस्यमय जगह है | उन्हीं में से एक है राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध मंदिर – करणी माता का मंदिर जो कि अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं, यह मंदिर बीकानेर से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर देशनोक में स्थित एक ऐसा हिन्दू मंदिर है, जिसमे 25 हजार से भी ज्यादा चूहे हैं, इसलिए इसे ”चूहों का मंदिर” भी कहा जाता है। राजस्थान के इस अनूठे मंदिर में चूहों को दूध, लड्डू एवं अन्य पकवानों का भोग लगाया जाता है एवं मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को चूहों का झूठा प्रसाद वितरित किया जाता है। इस मंदिर का निर्माण २०वी शताब्दी में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। करणी माता माँ दुर्गा की साक्षात अवतार लोगो की कुल देवी है |
करणी माता 1387 ईसवी में एक शाही परिवार में रिघुबाई के नाम से जन्मी थी। उनकी शादी किपोजी चारण से हुई थी, लेकिन विवाह के कुछ समय पश्चात ही माता करणी का संसारिक मोहमाया से मन उब गया फिर उन्होंने अपने पति किपोजी चारण की शादी अपने ही छोटी बहन गुलाब से करवा दी और एक तपस्वी की तरह अपना जीवन व्यतीत करने का फैसला लिया।
इस दौरान उन्होंने खुद को मां जगदंबा की भक्ति में पूरी तरह समर्पित कर दिया।
वहीं उनके धार्मिक काम और चमत्कारी शक्तियों की वजह से उनकी ख्याति आस-पास फैल गई। लोग उनका काफी आदर और सम्मान करने लगे एवं दुर्गा मां का अवतार मानकर उनकी आराधना करने लगे। करीब 151 सालों तक जीवित रहने के बाद 1538 ईसवी में करणी माता ज्योतिर्लिंन हो गईं थी। मुगल शैली में बनाया गया मंदिर एक सुंदर संगमरमर का मुखौटा है जिसमें ठोस चांदी के दरवाजे हैं |मंदिर भी उच्च विश्वास का एक स्थान माना जाता है जहां लोग देवी का आशीर्वाद लेने आते हैं। यह भी माना जाता है कि अगर किसी चूहे को किसी ने मार दिया है तो उसे चांदी के चूहे से बदल देना चाहिए। किंवदंती कहती है कि एक बार करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण एक तालाब में पानी पीने के दौरान डूब गए जो कोलायत तहसील के कपिल सरोवर में था | माता ने मृत्यु के देवता यम से बेटे के जीवन को बक्श देने की प्राथना की जिस पर यम ने पहले मना कर दिया लेकिन बाद में उन्होंने करणी माता की कठोर आराधना से प्रसन्न होकर उनके सौतेले पुत्र लक्ष्मण को फिर से जीवित कर दिया। इसलिए, करणी माता के मंदिर में इन चूहों को मां का बेटा माना जाता है।
इसके अलावा, मंदिर में इन चूहों से जुड़ी अन्य लोककथा के मतुाबिक, एक बार करीब 20 हजार सैनिकों की विशाल सेना बीकानेर के पास स्थित देशनोक पर हमला करने के उद्देश्य से आई।
जिसके बाद देशनोक की सुरक्षा के लिए करणी माता ने अपनी चमत्कारी शक्ति और प्रताप से इन सैनिकों को चूहा बना दिया और उन्हें अपनी सेवा में रख लिया था, ऐसा माना जाता है कि तब से ये चूहे बेटे के रुप में करणी माता की सेवा कर रहे हैं।
उन काले चूहों में से कुछ सफेद चूहों को पा सकते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे खुद करणी माता और उनके चार पुत्र थे। इन चूहों को पवित्र माना जाता है और इन्हें “काबा” कहा जाता है| इस मंदिर में पुरे भारत से हज़ारो पर्यटक इस अनोखे स्थान को देखने हर साल आते है |