भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु भगवान ने लिया था नरसिंह अवतार, आज जयंती पर जरूर करें इन सिद्ध मंत्रों और आरती का पाठ

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Posted On:Saturday, May 6, 2023

हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरसिंह जयंती मनाई जाती है। आपको बता दें कि इस साल यह पर्व 4 मई 2023 यानी गुरुवार को है। ऐसे में पौराणिक मान्यता के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह के रूप में अवतार लिया था. तभी से इस दिन को नरसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है । शायद आप नहीं जानते होंगे मगर नरसिंह जयंती के शुभ अवसर पर कुछ मंत्रों का जाप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। आज हम आपको वो ही बताने जा रहे हैं 
भगवान नरसिंह के सिद्ध मंत्र
एकाक्षर नृसिंह मंत्र : ''क्ष्रौं''
त्र्यक्षरी नृसिंह मंत्र : ''ॐ क्ष्रौं ॐ''
षडक्षर नृसिंह मंत्र : ''आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं हुं फट्''
अष्टाक्षर नृसिंह : ''जय-जय श्रीनृसिंह''
आठ अक्षरी लक्ष्मी नृसिंह मन्त्र: ''ॐ श्री लक्ष्मी-नृसिंहाय''
दस अक्षरी नृसिंह मन्त्र: ''ॐ क्ष्रौं महा-नृसिंहाय नम:'' 
तेरह अक्षरी नृसिंह मन्त्र: ''ॐ क्ष्रौं नमो भगवते नरसिंहाय''
नृसिंह गायत्री : ''ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।
नृसिंह गायत्री : ''ॐ वज्र-नखाय विद्महे, तीक्ष्ण-द्रंष्टाय धीमहि। तन्नो नारसिंह: प्रचोदयात्।।''
आरती श्री नृसिंह भगवान की



आरती कीजै नृसिंह कुंवर की।
वेद विमल यश गाऊं मेरे प्रभुजी।।

पहली आरती प्रह्लाद उबारे,
हिरणाकुश नख उदर विदारे।

दूसरी आरती वामन सेवा,
बलि के द्वार पधारे हरि देवा।
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की...
तीसरी आरती ब्रह्म पधारे,
सहसबाहु के भुजा उखारे।

चौथी आरती असुर संहारे,
भक्त विभीषण लंक पधारे।
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की...

पांचवीं आरती कंस पछारे,
गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले।

तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा,
हरषि-निरखि गावें दास कबीरा।
आरती कीजै नरसिंह कुंवर की...

अन्य आरती-

ॐ जय नृसिंह हरे, प्रभु जय नृसिंह हरे।
स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तम्भ फाड़ प्रभु प्रकटे, जन का ताप हरे॥  ॥
ॐ जय नृसिंह हरे॥
तुम हो दीन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी।
अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी॥ ॥
ॐ जय नृसिंह हरे॥
सबके ह्रदय विदारण, दुस्यु जियो मारी, प्रभु दुस्यु जियो मारी।
दास जान अपनायो, दास जान अपनायो, जन पर कृपा करी॥ ॥
ॐ जय नृसिंह हरे॥
ब्रह्मा करत आरती, माला पहिनावे, प्रभु माला पहिनावे।
शिवजी जय जय कहकर, पुष्पन बरसावे॥ ॥
ॐ जय नृसिंह हरे॥ 


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