भारत द्वारा पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए आर्थिक और कूटनीतिक कदम दर्शाते हैं कि भारत अब केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि ठोस अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाकर पाकिस्तान की आर्थिक सहायता पर असर डालना चाहता है। भारत ने एशियाई विकास बैंक (ADB) और अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भी पाकिस्तान को मिलने वाली आर्थिक मदद पर सवाल उठाए हैं, ये संकेत हैं कि भारत आतंकी गतिविधियों से जुड़े देशों पर वैश्विक मंचों पर जवाबदेही तय करने की नीति पर चल रहा है।
भारत की दलील है कि पाकिस्तान को जो आर्थिक सहायता मिल रही है, वह सीधे या परोक्ष रूप से आतंकी संगठनों को फायदा पहुंचा सकती है। खासकर तब, जब पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब है और सरकार का नियंत्रण सीमित क्षेत्रों तक ही है। भारत चाहता है कि ADB और IMF जैसी संस्थाएं न केवल फंडिंग के आर्थिक मानदंडों को देखें, बल्कि सुरक्षा और शांति को भी प्राथमिकता दें।
यदि ADB और IMF जैसे संस्थान भारत की बातों पर गंभीरता से विचार करते हैं और फंड रोकते हैं, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगा। इससे उसकी पहले से जर्जर अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा और उसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है।