मुंबई, 04 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राज्य सरकारें अनुसूचित जाति (SC) रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ ने इसके खिलाफ लगी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा, पुराने फैसले में ऐसी कोई खामी नहीं है, जिस पर फिर से विचार किया जाए। पुर्नविचार याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के 1 दिसंबर को दिए गए फैसले को खारिज करने का कोई आधार नहीं बताया गया है। इसलिए पुर्नविचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलट दिया। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी। पहली, अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरी, अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए। जिसके साथ ही, कोर्ट ने 24 सितंबर को ही इन याचिकाओं पर सुनवाई की थी, लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया था। इन याचिकाओं को संविधान बचाओ ट्रस्ट, अंबेडकर ग्लोबल मिशन, ऑल इंडिया SC-ST रेलवे एम्प्लॉयी एसोसिएशन समेत कई संस्थाओं की ओर से दायर किया गया था।