मुंबई, 13 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। विदेश मंत्री एस जयशंकर महाराष्ट्र के पुणे में 'भारत क्यों मायने रखता है: युवाओं के लिए अवसर और वैश्विक परिदृश्य में भागीदारी' (Why Bharat Matters: Opportunity for youth and participation in global scenario) पर आयोजित यूथ कार्यक्रम में शामिल हुए यहाँ उन्होंने कहा कि आतंकी नियमों से नहीं चलते। इसलिए उन्हें जवाब भी उसी तरह यानी बिना किसी नियम का पालन किए देना चाहिए। बॉर्डर पर होने वाली किसी भी आतंकी घटना का जवाब देने के लिए देश हमेशा तैयार है। जयशंकर ने 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमले के लिए तत्कालीन UPA सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आतंकी हमले के बाद सरकारी लेवल पर बहुत विचार-विमर्श किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। उस समय यह सोचा गया कि पाकिस्तान पर हमला किया गया तो बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। जयशंकर ने यहां पूछा कि अगर आज ऐसा हमला होता है और उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जाती तो इन हमलों को कैसे रोका जा सकता है।
जयशंकर ने कहा कि भारत को सवाल करना चाहिए कि क्या उसे कुछ देशों के साथ कोई रिश्ते बनाए रखना चाहिए? उन्होंने कहा कि एक तो हमारे बगल में ही है। पाकिस्तान के साथ संबंध रखना बहुत कठिन है। अगर भारत शुरू से ही स्पष्ट होता कि पाकिस्तान आतंकवाद में लिप्त है तो भारत को किसी भी परिस्थिति में उसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए था। ऐसा करते तो आज देश की नीति बहुत अलग होती। वहीं, जयशंकर के मुताबिक, साल 2014 में मोदी आए, लेकिन आतंकवाद की समस्या 2014 में शुरू नहीं हुई। इसकी शुरुआत मुंबई हमले से नहीं हुई। 1947 में घुसपैठिए कश्मीर आए। उन लोगों ने कश्मीर पर हमला, लोगों की हत्या की, गांवों-कस्बों को जलाया। ये लोग पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत (नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर) के आदिवासी थे। हमने सेना भेजी और कश्मीर एक हुआ। जब भारतीय सेना कार्रवाई कर रही थी तो हम बीच में रुक गए। यूनाइटेड नेशन में जाकर कहा गया कि अटैक आतंकवादियों ने नहीं, बल्कि आदिवासी हमलावरों ने किया। इसे इस तरह से बताया गया, जैसे ये हमला सही था।