मुंबई, 09 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होने वाला एक्सिओम-4 मिशन एक बार फिर टाल दिया गया है। खराब मौसम के कारण स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट की लॉन्चिंग में देरी हुई है। अब यह मिशन 11 जून को भारतीय समयानुसार शाम 5:30 बजे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इस जानकारी की पुष्टि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने X (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट के ज़रिए की है। इसरो के प्रमुख वी. नारायणन ने बताया कि मौसम की अनिश्चितता के कारण लॉन्च को फिर से टालना पड़ा है। यह तीसरी बार है जब मिशन को टाला गया है। पहले यह 29 मई को लॉन्च होना था, जिसे बाद में 8 जून और फिर 10 जून के लिए शेड्यूल किया गया था।
इस ऐतिहासिक मिशन में भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के चार एस्ट्रोनॉट शामिल हैं, जो 14 दिनों के लिए अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे। भारत के शुभांशु शुक्ला इस मिशन का हिस्सा बनकर इतिहास रचने वाले हैं। वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे। उनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। लॉन्चिंग से पहले शुभांशु ने रविवार को फुल ड्रेस रिहर्सल की, जिसमें उन्होंने असेंबली बिल्डिंग से रॉकेट तक पहुंचने और उसमें बैठने की प्रक्रिया का अभ्यास किया। उन्होंने कहा कि वह खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि वे एक ऐसे अभियान का हिस्सा बनने जा रहे हैं, जो बेहद महत्वपूर्ण और विशाल है।
शुभांशु के साथ पोलैंड से स्लावोज़ उज़्नान्स्की, हंगरी से टिबोर कापू और अमेरिका से पैगी व्हिटसन भी उड़ान भरेंगी। स्लावोज़ 1978 के बाद पोलैंड से अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे, वहीं टिबोर 1980 के बाद हंगरी से अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे व्यक्ति होंगे। पैगी व्हिटसन इससे पहले भी एक कॉमर्शियल स्पेस मिशन का हिस्सा रह चुकी हैं। ये सभी एस्ट्रोनॉट स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष की ओर रवाना होंगे। यह मिशन नासा और अमेरिका की प्राइवेट कंपनी एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संचालित हो रहा है। यह एक्सिओम का चौथा मिशन है। इससे पहले अप्रैल 2022 में पहला मिशन शुरू हुआ था, जबकि दूसरा मिशन मई 2023 और तीसरा जनवरी 2024 में लॉन्च किया गया था।
मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक अनुसंधान, नई तकनीकों का परीक्षण और विभिन्न देशों के एस्ट्रोनॉट्स को एक साथ काम करने का मौका देना है। साथ ही यह मिशन अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में निजी कंपनियों की भूमिका को भी मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम है। एक्सिओम की भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन स्थापित करने की भी योजना है, जिसका यह अभियान हिस्सा है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की बात करें तो यह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाने वाला एक विशाल अंतरिक्ष यान है, जिसमें एस्ट्रोनॉट माइक्रोग्रैविटी में विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करते हैं। यह स्टेशन हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करता है और इसकी गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसे पांच प्रमुख स्पेस एजेंसियों ने मिलकर बनाया है और इसका पहला हिस्सा नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।