मुंबई, 22 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को केरल में आयोजित मनोरमा न्यूज कॉन्क्लेव में विपक्षी गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी सुदर्शन रेड्डी पर गंभीर आरोप लगाए। शाह ने कहा कि सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट से ऐसा फैसला दिया था, जिससे नक्सलियों को परोक्ष रूप से मदद मिली। उनका कहना था कि अगर सलवा जुडूम अभियान के खिलाफ वह फैसला न आया होता तो वामपंथी उग्रवाद 2020 तक खत्म हो चुका होता। शाह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल विचारधारा से प्रेरित होकर नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि केरल नक्सलवाद और उग्रवाद का दर्द झेल चुका है और यहां की जनता जरूर देखेगी कि कांग्रेस और विपक्षी दल किस तरह दबाव में आकर ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रहे हैं, जिनके फैसले से नक्सलवाद को बल मिला।
दरअसल, शाह ने 2011 के उस फैसले का जिक्र किया जिसमें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे सलवा जुडूम अभियान पर रोक लगा दी गई थी। इस अभियान के तहत आदिवासी युवाओं को हथियार देकर स्पेशल पुलिस ऑफिसर बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी की बेंच ने इसे असंवैधानिक और गैरकानूनी बताते हुए आदेश दिया था कि सरकार का काम नक्सलियों से लड़ने के लिए सुरक्षाबलों को भेजना है, न कि गरीब आदिवासियों को खतरे में डालना। कोर्ट ने कहा था कि सरकार को नक्सलवाद की जड़ों पर काम करना चाहिए, न कि मासूमों को ढाल बनाना।
कार्यक्रम के दौरान शाह ने कई अन्य मुद्दों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने खुद को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक और भाजपा का कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि पार्टी का लक्ष्य ऐसा भारत बनाना है जो विश्व में सबसे समृद्ध और सम्मानित राष्ट्र बने। राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि कांग्रेस नेता लगातार संवैधानिक संस्थाओं को शक के घेरे में लाते हैं। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर भी कहा कि अगर वह जेल जाते समय इस्तीफा दे देते तो संविधान में बदलाव की नौबत न आती। परिसीमन को लेकर उठ रही आशंकाओं पर शाह ने साफ किया कि दक्षिण के राज्यों के साथ किसी प्रकार का अन्याय नहीं होगा। उनका कहना था कि यह डर केवल भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान भटकाने के लिए फैलाया जा रहा है और जब भी परिसीमन होगा तो भाजपा सरकार ही उसे लागू करेगी।
बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 9 सितंबर को वोटिंग और उसी दिन काउंटिंग होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त तय की गई है, जबकि 25 अगस्त तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं। एनडीए ने अपने उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी से होगा। खास बात यह है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से आते हैं। यह चुनाव उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के कारण हो रहा है। उनका कार्यकाल 2027 तक था।