मुंबई, 05 जनवरी, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी ने भाजपा के CM फेस को लेकर X पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में बारात के एक घोड़े को दिखाया गया है। इस घोड़े पर कोई बैठा नहीं है। वीडियो में AAP ने पूछा, ये बिना दूल्हे का घोड़ा किसका है। BJP का है क्या। अरे BJP वालों अपने दूल्हे का नाम तो बताओ। उधर, भाजपा ने इस वीडियो का जवाब पोस्टर जारी करके दिया। भाजपा ने एक्स पर जारी किए पोस्टर में लिखा, आप-दा जाएगी, भाजपा आएगी। भाजपा का यह 5 दिन में 5वां पोस्टर है। भाजपा ने इससे पहले केजरीवाल को 'दिल्ली का राजा बाबू' कहा था। दरअसल, पीएम मोदी की तरफ से केजरीवाल को आपदा कहे जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आपदा दिल्ली में नहीं भाजपा में आई हुई है। भाजपा के पास न तो सीएम फेस है और न ही एजेंडा। इसके बाद AAP ने सोशल मीडिया पर अमित शाह को लेकर एक पोस्टर जारी किया। इसमें लापता लेडीज फिल्म के पोस्टर की तर्ज पर अमित शाह को लापता दूल्हा बताया गया।
AAP ने अपने पोस्टर में केजरीवाल को अब तक का सबसे महानतम नेता बताया है। पार्टी के पोस्टर में दिल्ली के अस्पताल और स्कूलों का तस्वीरों के साथ जिक्र किया गया है। साथ ही केजरीवाल को दी ग्रेटेस्ट ऑफ टाइम ऑफ काम की राजनीति लिखा है। तो, भाजपा ने 1994 में आई गोविंदा की फिल्म राजा बाबू के गेटअप में केजरीवाल को दिखाकर सीएम आवास पर हुए खर्च को दिखाया गया है। इसमें इंटीरियर पर 10 करोड़ और पर्दे पर 5 करोड़ रुपए खर्च करने की बात को प्रमुखता से दिखाया है। दिल्ली भाजपा ने फिल्म पुष्पा के फेमस डायलॉग फ्लावर नहीं फायर है मैं को रीक्रिएट करते हुए लिखा- आप नहीं आप-दा है मैं। पोस्टर में केजरीवाल को पुष्पा के रूप में दिखाया गया है। भाजपा ने हर्षद मेहता पर बनी वेब सीरीज स्कैम के पोस्टर पर केजरीवाल का फोटो लगाया। कैप्शन में लिखा- दिल्ली में केजरीवाल का नया खेल! वोटों का फर्जीवाड़ा करके सत्ता बचाने की कोशिश। मकान मालिक को नहीं पता और उसके घर के पते पर सैकड़ों वोट बना दिया था इस ठग ने वो भी एक विशेष समुदाय का (और नए वोटर की उम्र- 40 साल से लेकर 80 साल तक)। भाजपा ने 31 दिसंबर को एक्स पर पोस्टर जारी किया था। इसमें अरविंद केजरीवाल को भूल-भुलैया फिल्म के छोटा पंडित (राजपाल यादव) के किरदार में दिखाया था। भाजपा ने उन्हें चुनावी हिंदू बताया था। भाजपा ने लिखा, चुनावी हिंदू केजरीवाल जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा, जो खुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे, जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले, जिसकी पूरी राजनीति हिन्दू विरोधी रही उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई।