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IIT कानपुर के बैच 2000 की ऐतिहासिक गुरु दक्षिणा, 100 करोड़ का सामूहिक दान बना देश के लिए मिसाल

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Posted On:Tuesday, December 30, 2025

IIT कानपुर के साल 2000 बैच के पूर्व छात्रों ने ऐसी गुरु दक्षिणा दी है, जिसे यह प्रतिष्ठित संस्थान ही नहीं बल्कि पूरा देश लंबे समय तक याद रखेगा। सिल्वर जुबली रियूनियन के मौके पर इन एक्स-स्टूडेंट्स ने मिलकर 100 करोड़ रुपये का सामूहिक योगदान देने का ऐलान किया है। यह पहली बार है जब देश के किसी भी शैक्षणिक संस्थान के एक ही बैच ने एक साल में इतना बड़ा डोनेशन दिया हो। यह महादक्षिणा न सिर्फ IIT कानपुर के लिए, बल्कि भारतीय उच्च शिक्षा व्यवस्था के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई है।

दरअसल, साल 2000 बैच के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित सिल्वर जुबली रीयूनियन में देश-विदेश से पूर्व छात्र अपने पुराने कैंपस लौटे। इस दौरान पुरानी यादें ताजा हुईं, संघर्ष और सफलता की कहानियां साझा हुईं और सबसे अहम बात यह सामने आई कि इन पूर्व छात्रों के दिलों में आज भी अपने संस्थान के लिए गहरा सम्मान और आभार मौजूद है। इसी भावना के साथ बैच 2000 के छात्रों ने यह संदेश दिया कि IIT कानपुर ने उन्हें जो ज्ञान, अवसर और पहचान दी है, उसे अब लौटाने का समय आ गया है।

100 करोड़ रुपये की इस बड़ी राशि से IIT कानपुर में मिलेनियम स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड सोसाइटी (MSTAS) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। यह स्कूल तकनीक और समाज के बीच संबंधों को समझने और मजबूत करने पर केंद्रित होगा। यहां शिक्षा, शोध और सामाजिक प्रभाव—तीनों को एक साथ आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। MSTAS के जरिए ऐसे प्रोफेशनल्स तैयार किए जाएंगे, जो तकनीकी रूप से दक्ष होने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझें और समाज के लिए सार्थक समाधान विकसित कर सकें।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को सामाजिक रूप से संवेदनशील और जिम्मेदार बनाना है, ताकि वे केवल तकनीकी विशेषज्ञ न रहकर समाज के बदलाव में भी अहम भूमिका निभा सकें। सिल्वर जुबली के अवसर पर IIT कानपुर के निदेशक प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने इस योगदान को संस्थान और उसके छात्रों के बीच मजबूत रिश्ते का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल न सिर्फ संस्थान को सशक्त बनाती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के छात्रों को भी प्रेरित करती है कि वे अपने संस्थान से जुड़े रहें और उसे आगे बढ़ाने में योगदान दें।

IIT कानपुर में डोनेशन की यह संस्कृति लगातार मजबूत हो रही है। पिछले साल ही संस्थान को कुल 265.24 करोड़ रुपये का दान प्राप्त हुआ था। इसके अलावा मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी स्कूल को अब तक करीब 500 करोड़ रुपये का योगदान मिल चुका है। इसमें इंडिगो के सह-संस्थापक राकेश गंगवाल का 108.7 करोड़ रुपये का बड़ा दान भी शामिल है, जिसने इस स्कूल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है।

सिर्फ IIT कानपुर ही नहीं, बल्कि देश के अन्य प्रमुख तकनीकी संस्थानों में भी पूर्व छात्रों का योगदान लगातार बढ़ रहा है। इसी साल 21 दिसंबर को IIT कानपुर के 1986 बैच ने मेंटल हेल्थ और कम्युनिटी सुविधाओं के विकास के लिए 11 करोड़ रुपये का दान दिया। वहीं IIT BHU को पिछले पांच वर्षों में 100 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिल चुका है। इसके अलावा MNNIT प्रयागराज में 1998 बैच के सहयोग से एक अत्याधुनिक स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है।

कुल मिलाकर, IIT कानपुर के बैच 2000 की यह 100 करोड़ रुपये की गुरु दक्षिणा यह साबित करती है कि शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह जीवनभर का रिश्ता बन जाती है। यह पहल आने वाले समय में देश के अन्य संस्थानों और उनके पूर्व छात्रों के लिए भी एक मजबूत प्रेरणा बनेगी।


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