11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया था। तब से पूरी दुनिया में लाखों लोग इस दिन को योग के माध्यम से स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ने का अवसर मानते हुए मनाते हैं। योग दिवस न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी स्वास्थ्य, मानसिक शांति और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण दिवस बन चुका है। इस साल 2025 में, आंध्र प्रदेश की ‘सिटी ऑफ डेस्टिनी’ यानी विशाखापत्तनम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर इतिहास रचने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की उपस्थिति में यहां 2.5 लाख से अधिक लोग एक साथ योगाभ्यास करेंगे, जिससे विश्व के लिए एक नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
आयोजन स्थल: 26.5 किलोमीटर लंबा समुद्री तट
विशाखापत्तनम के आरके बीच के काली माता मंदिर से लेकर भीमुनिपटनम तक फैले 26.5 किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर यह भव्य योग कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस समुद्री तट की लंबाई में 68 अलग-अलग स्थानों को चिन्हित किया गया है, जिनमें सार्वजनिक स्थल, स्कूल, खेल मैदान, पुलिस और खेल परिसर, नौसेना परिसर और अन्य खुले मैदान शामिल हैं। इन सभी स्थानों पर लगभग 2,58,948 प्रतिभागियों के लिए समुचित व्यवस्था की गई है ताकि हर कोई आराम से योगाभ्यास कर सके। यह आयोजन न केवल योग के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाएगा बल्कि एक साथ इतने बड़े पैमाने पर योगाभ्यास का अवसर भी प्रदान करेगा।
योग के लिए ‘योगांध्र-2025’ अभियान
इस ऐतिहासिक आयोजन को सफल बनाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने ‘योगांध्र-2025’ नामक एक महीने लंबा अभियान शुरू किया है, जो 21 मई से शुरू होकर 21 जून तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य राज्यभर में योग के लाभों के प्रति जन जागरूकता फैलाना और योगाभ्यास को जीवनशैली का हिस्सा बनाना है। इस दौरान छात्रों, योग प्रशिक्षकों, संगठनों और आम जनता के बीच योग के महत्व पर चर्चा की जाएगी और योग के विभिन्न पहलुओं को समझाने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह अभियान योग को हर घर तक पहुंचाने का एक प्रयास है जिससे लोगों का जीवन स्वस्थ और संतुलित हो सके।
वैश्विक मान्यता और प्रधानमंत्री की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और सक्रिय पहल के चलते 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी थी। योग को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय और मान्यता प्राप्त कराने में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका अतुलनीय रही है। इस वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय योग दिवस अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रहा है, तो विशाखापत्तनम में आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास ही नहीं, बल्कि योग को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस आयोजन को ऐतिहासिक और यादगार बनाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उनका लक्ष्य है कि इस आयोजन में राज्य के 5 लाख से अधिक लोग भाग लें, जिससे यह योग आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल सके।
रिकॉर्ड बनाने की तैयारी
पिछले वर्ष 2023 में गुजरात के सूरत शहर में आयोजित योग सत्र में 1.53 लाख प्रतिभागियों ने एक साथ योगाभ्यास किया था, जो अब तक का विश्व रिकॉर्ड था। इस बार आंध्र प्रदेश सरकार ने इस रिकॉर्ड को तोड़ने का बड़ा लक्ष्य रखा है। विशाखापत्तनम में आयोजित होने वाला यह विशाल योग कार्यक्रम नए मील के पत्थर के रूप में माना जाएगा। 2.5 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी न केवल योग के प्रति उत्साह को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि योग के प्रति जनमानस में लगातार बढ़ती रुचि है।
योग का सामाजिक, शारीरिक और मानसिक महत्व
योग सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करता है। योगाभ्यास से तनाव कम होता है, मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और शारीरिक रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि योग से ही स्वस्थ जीवन संभव है और यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। ‘योगांध्र-2025’ अभियान भी इसी विचार को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है ताकि युवा पीढ़ी से लेकर बुजुर्ग तक सभी योग की महत्ता को समझें।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की 10वीं वर्षगांठ पर विशाखापत्तनम में होने वाला यह विशाल आयोजन भारत के लिए गर्व का विषय है। यह आयोजन न केवल भारत की योग संस्कृति की वैश्विक पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि देशभर में योग को जन-जन तक पहुंचाने और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने की प्रेरणा भी देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की उपस्थिति में 2.5 लाख से अधिक लोगों द्वारा योगाभ्यास कर नए विश्व रिकॉर्ड की स्थापना, योग के महत्व को साबित करने वाला ऐतिहासिक पल होगा। ‘योगांध्र-2025’ अभियान की मदद से योग की लोकप्रियता और भी बढ़ेगी और आने वाले वर्षों में योग और भी व्यापक रूप से अपनाया जाएगा। इस प्रकार यह आयोजन न केवल एक स्वास्थ्य और फिटनेस का संदेश है, बल्कि भारत की प्राचीन योग परंपरा की गौरवपूर्ण प्रस्तुति भी है।