देशभर में इस साल मानसून ने रिकॉर्ड समय से पहले दस्तक दी है। सामान्यतः मानसून जुलाई के दूसरे सप्ताह तक पूरे भारत को अपने घेरे में ले लेता है, लेकिन 2025 में यह प्राकृतिक महोत्सव 29 जून को ही पूरे देश में सक्रिय हो गया। यह पिछले वर्षों की तुलना में नौ दिन पहले है, जो मौसम विज्ञान के लिहाज से एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले छह से सात दिनों के लिए भारी से अति भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे कई राज्यों में सतर्कता बढ़ गई है।
उत्तर भारत में भारी बारिश और खतरे
IMD के अनुसार उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ इलाकों में भारी बारिश होने की संभावना है। खासकर पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश से भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। हिमाचल प्रदेश में हाल ही में मंडी जिले के कई हिस्सों में बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें लोगों की जान भी गई है और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा है। इसी तरह, उत्तराखंड में भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है।
स्थानीय प्रशासन ने आपदा प्रबंधन के तहत बचाव एवं राहत कार्यों को त्वरित करने के लिए अलर्ट मोड में काम करना शुरू कर दिया है। राज्य सरकारों ने राहत शिविरों का निर्माण किया है और प्रभावित इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है।
मध्य और पूर्वी भारत में बारिश की तेज़ी
मध्य भारत और पूर्वी राज्यों में भी मानसून पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, सिक्किम और ओडिशा के कई हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक तेज बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने इन क्षेत्रों के लिए भारी और अति भारी बारिश का विशेष अलर्ट जारी किया है।
बिहार और झारखंड में पिछले सालों की तरह इस बार भी जलजमाव और बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इसलिए नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की गई है। नदियों के किनारे बसे इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी गई है।
पश्चिमी भारत में बारिश का दबदबा
कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में भी भारी बारिश की आशंका जताई गई है। मुंबई सहित मुंबई महानगर क्षेत्र में बारिश के कारण यातायात जाम और जनजीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए रेलवे प्रशासन और स्थानीय निकायों को पहले से अलर्ट पर रखा गया है ताकि आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में भी सक्रिय मानसून
पूर्वोत्तर के अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में भारी बारिश का दौर जारी रहेगा। ये क्षेत्र पहले से ही संवेदनशील माने जाते हैं, जहां मानसून के दौरान भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं होती रहती हैं। प्रशासन ने यहां भी सतर्कता बढ़ा दी है।
दक्षिण भारत के तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में भी अगले कुछ दिनों में भारी बारिश की संभावना है। इन क्षेत्रों में कृषि पर बारिश का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का असर पड़ सकता है। भारी बारिश से किसानों की फसलों को नुकसान हो सकता है, इसलिए किसान अपने खेतों की निगरानी कर रहे हैं।
जुलाई माह में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने जुलाई 2025 के लिए भी सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। खासकर मध्य भारत, उत्तराखंड, हरियाणा और आसपास के इलाकों में इस बारिश का असर बाढ़ के रूप में देखने को मिल सकता है। इसलिए स्थानीय प्रशासन, आपदा प्रबंधन विभाग, और आम नागरिकों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।
सावधानी और तैयारियों की आवश्यकता
भारी बारिश के कारण होने वाली आपदाओं से बचने के लिए सभी राज्यों के प्रशासन ने विशेष तैयारी शुरू कर दी है। बचाव दलों को गहराई से प्रशिक्षित किया जा रहा है, आपातकालीन किटों का स्टॉक रखा गया है, और राहत शिविरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इसके साथ ही लोगों को सोशल मीडिया, टीवी और रेडियो के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है ताकि वे बारिश के दौरान सुरक्षित रहें।
सड़क मार्गों, पुलों और नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को बार-बार अलर्ट जारी किए जा रहे हैं कि वे आवश्यक सावधानी बरतें। पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को भूस्खलन से बचने के लिए चेतावनी दी जा रही है।
निष्कर्ष
इस वर्ष मानसून ने समय से पहले पूरे देश में दस्तक दी है और लगातार बारिश के कारण कई हिस्सों में हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। भारी बारिश से जहां किसान, आम जनता और प्रशासन को संभालना पड़ रहा है, वहीं प्राकृतिक आपदाओं के खतरे भी बढ़ गए हैं।
भारत के मौसम विभाग की सूचनाओं और प्रशासन की तैयारियों के कारण सही समय पर सतर्कता और बचाव कार्य किए जा रहे हैं, जो नुकसान को कम करने में मददगार साबित होंगे। आम नागरिकों को भी मौसम की खबरों पर ध्यान देना और सतर्क रहना बेहद जरूरी है।
इस तरह, 2025 का मानसून देश के लिए नए अनुभव और चुनौतियां लेकर आया है, जिसके लिए सभी का सहयोग और समझदारी आवश्यक होगी।
सावधान रहें, सुरक्षित रहें!