देश के बड़े महानगरों में घर खरीदना अब मध्यम वर्ग के लिए एक सपने जैसा हो गया है। मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ रही हैं कि औसत आय वाला परिवार इन कीमतों के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा है। हाल ही में Reddit पर इस विषय पर एक लंबी चर्चा हुई जिसमें आम लोगों ने अपने अनुभव साझा किए और चिंता जताई कि कैसे रियल एस्टेट बाजार आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है।
आसमान छूती कीमतें, गिरती उम्मीदें
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में एक 2BHK घर की औसत कीमत अब 1.2 से 1.5 करोड़ रुपये के बीच पहुंच गई है। वहीं एक औसत शहरी परिवार की सालाना आय 7-8 लाख रुपये तक होती है। ऐसे में घर खरीदना उनके लिए आर्थिक रूप से असंभव होता जा रहा है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने बताया कि वे पिछले 5-10 वर्षों से घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, लेकिन कीमतों की रफ्तार उनकी बचत से कहीं तेज है।
पुरानी इमारतें, ऊँचे दाम
रेडिट पर एक यूजर ने बताया कि दिल्ली की 25 साल पुरानी एक सोसायटी में भी 2BHK फ्लैट की कीमत 1.7 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। यह फ्लैट आधुनिक सुविधाओं से रहित हैं, मरम्मत की ज़रूरत है, और पार्किंग की जगह भी सीमित है। बावजूद इसके, कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे पुराने अपार्टमेंट्स की ऊँची कीमतों ने मध्यम वर्ग को हताश कर दिया है।
दोहरी आय भी नाकाफी
एक अन्य यूजर ने लिखा कि वे और उनके जीवनसाथी दोनों कामकाजी हैं, फिर भी घर खरीदने लायक बचत नहीं हो पाती। किराया, बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल और अन्य खर्चों के बाद जो कुछ बचता है, वह प्रॉपर्टी की कीमतों से मुकाबला नहीं कर पाता।
बिक्री में गिरवट
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के कई शहरों में पिछले साल की तुलना में नई प्रॉपर्टी बिक्री में 10-20 फीसदी की गिरावट आई है। इसका सीधा संकेत है कि लोग महंगी कीमतों की वजह से खरीद नहीं पा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो रियल एस्टेट सेक्टर को भारी नुकसान हो सकता है।
कोलकाता और चेन्नई में भी यही हाल
केवल दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु ही नहीं, बल्कि कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में भी प्रॉपर्टी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि एक अच्छी लोकेशन पर 2BHK की कीमत 80 लाख रुपये से ऊपर पहुंच चुकी है। यहां भी मध्यम वर्ग के परिवारों को घर खरीदने के लिए कर्ज का भारी बोझ उठाना पड़ता है।
सरकार की भूमिका और अपेक्षाएँ
हालांकि सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी कई स्कीम्स लॉन्च की हैं, लेकिन शहरी मध्यम वर्ग इनका लाभ नहीं ले पा रहा है। कारण है इन योजनाओं की जटिल पात्रता शर्तें और सीमित लाभ क्षेत्र। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को मध्यम वर्ग के लिए एक अलग आवास नीति तैयार करनी चाहिए जिसमें टैक्स में छूट, सब्सिडी और आसान लोन की सुविधा हो।
निष्कर्ष
शहरों में घर की बढ़ती कीमतों ने मध्यम वर्ग को एक असहाय स्थिति में पहुंचा दिया है। दोहरी आय वाले परिवार भी इस दौड़ में पीछे छूटते जा रहे हैं। सरकार और रियल एस्टेट कंपनियों को इस संकट को समझना होगा और ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे आम आदमी का भी अपने घर का सपना पूरा हो सके।
यह सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दा भी बनता जा रहा है। यदि समय रहते उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले वर्षों में यह संकट और गहराता जाएगा।