मुंबई, 15 नवम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिका के लगातार दबाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खुली आपत्तियों के बावजूद भारत ने अक्टूबर 2025 में रूस से कच्चे तेल की बड़ी मात्रा में खरीद जारी रखी। हेलसिंकी स्थित Centre for Research on Energy and Clean Air (CREA) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अक्टूबर में रूस से 2.5 बिलियन डॉलर (करीब ₹22.17 हजार करोड़) का कच्चा तेल आयात किया। इस आयात मात्रा के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रूसी क्रूड खरीदार बन गया है। चीन इस सूची में 3.7 बिलियन डॉलर के आयात के साथ शीर्ष पर है।
रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर में भारत का कुल रूसी जीवाश्म ईंधन आयात 3.1 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें कच्चा तेल, कोयला और अन्य तेल उत्पाद शामिल हैं। इसके विपरीत, चीन का कुल रूसी फॉसिल फ्यूल आयात 5.8 बिलियन डॉलर रहा। रूस से आयात जारी रखने के फैसले को ऊर्जा सुरक्षा और सस्ते तेल पर भारतीय निर्भरता के संदर्भ में देखा जा रहा है। रूस भारत के लिए इस साल अब तक कच्चे तेल का लगभग 36% प्रमुख स्रोत रहा है।
CREA के अनुसार, चीन पिछले महीने रूसी कोयले का सबसे बड़ा खरीदार भी बना रहा, जिसने लगभग 760 मिलियन डॉलर का कोयला इम्पोर्ट किया। भारत इस मामले में दूसरे स्थान पर रहा, जिसने 351 मिलियन डॉलर मूल्य का कोयला और 222 मिलियन डॉलर के तेल उत्पाद खरीदे। वहीं, तुर्की रूसी ऑयल प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा आयातक रहा, जिसने 957 मिलियन डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे।
यूरोपीय संघ ने भी अक्टूबर में बड़ी मात्रा में रूसी गैस खरीदी। उसने 824 मिलियन डॉलर मूल्य की पाइपलाइन गैस और LNG का आयात किया, जबकि कच्चे तेल की खरीद लगभग 31 मिलियन डॉलर मूल्य की रही। यह दर्शाता है कि पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूस की ऊर्जा आपूर्ति कई देशों के लिए अब भी महत्वपूर्ण बनी हुई है।
रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर लगाए गए प्रतिबंधों का असर भारत और चीन के दिसंबर के आयात डेटा में दिख सकता है। अमेरिका ने अगस्त में रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था—जिसमें 25% ‘रेसीप्रोकल’ टैरिफ और 25% ‘पेनल्टी’ शामिल है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को देखते हुए भारत की पांच प्रमुख रिफाइनरी—रिलायंस, BPCL, HPCL, MRPL और HMEL—ने दिसंबर के लिए रूस से कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है। फिलहाल केवल IOC और नयारा एनर्जी ही सीमित मात्रा में रुसी तेल खरीद रही हैं। इसके समानांतर भारत अमेरिका, सऊदी अरब, अबू धाबी और अन्य क्षेत्रों से अतिरिक्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है, ताकि संभावित कमी की स्थिति में ऊर्जा जरूरतें पूरी होती रहें।