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इतिहास के आईने में 18 अप्रैल: देशभक्ति, खोज और साहित्य से जुड़ी अहम घटनाएं

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Posted On:Friday, April 18, 2025

हर दिन इतिहास के पन्नों में कोई न कोई महत्वपूर्ण कहानी समाई होती है। 18 अप्रैल का दिन भी भारत और विश्व इतिहास में कई दृष्टिकोणों से खास महत्व रखता है। चाहे वह आज़ादी की लड़ाई से जुड़ी कोई घटना हो, किसी महान लेखक का जन्मदिवस, या फिर वैज्ञानिक खोज—18 अप्रैल ने समय-समय पर इतिहास में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। आइए जानते हैं आज के दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं और महान व्यक्तित्वों के बारे में।

देशभक्ति की गूंज: काकोरी केस के नायक थाने में फांसी

18 अप्रैल 1857 को ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ आजादी की मशाल को हवा मिली थी। यह वही दिन था जब भारत की पहली आज़ादी की लड़ाई की नींव पड़ी। मेरठ छावनी में सिपाहियों के विद्रोह की योजना तैयार की गई थी, जिसने आगे चलकर 1857 की क्रांति का रूप लिया। इस दिन को ‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ दिवस’ भी कहा जाता है।

वहीं 1930 में इसी दिन चंद्रशेखर आजाद और उनके क्रांतिकारी साथियों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ हथियार उठाए और लाहौर में ब्रिटिश शासन के प्रतीक भवनों पर हमला किया। यह घटना भारत के क्रांतिकारी इतिहास में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ती है।

साहित्य और संस्कृति की विरासत

18 अप्रैल को भारतीय साहित्य के एक प्रतिष्ठित नाम, धनपत राय ‘मुंशी प्रेमचंद’ की कहानी "बड़े घर की बेटी" पहली बार प्रकाशित हुई थी। यह दिन हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए इसलिए भी खास माना जाता है।

इसके अलावा, अमेरिका के महान लेखक क्लेरेंस डारो का जन्म भी इसी दिन 1857 में हुआ था, जो अपने सामाजिक विचारों और न्याय के पक्षधर के रूप में प्रसिद्ध थे।

विज्ञान और तकनीक में बढ़ते कदम

18 अप्रैल 1955 को आल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हुआ, जिन्होंने दुनिया को "सापेक्षता का सिद्धांत" दिया। उनका योगदान न केवल विज्ञान के क्षेत्र में, बल्कि मानवीय सोच और दृष्टिकोण में भी क्रांतिकारी था। उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया था।

संस्कृति संरक्षण का अंतरराष्ट्रीय दिवस

18 अप्रैल को "विश्व धरोहर दिवस" (World Heritage Day) के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (UNESCO) द्वारा 1982 में घोषित किया गया था। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना है। भारत की बात करें तो ताजमहल, कुतुब मीनार, अजंता-एलोरा की गुफाएं जैसी धरोहरें इस सूची में शामिल हैं।

निष्कर्ष

18 अप्रैल एक ऐसा दिन है जो क्रांति, बलिदान, साहित्य, विज्ञान और संस्कृति—हर क्षेत्र से जुड़ी घटनाओं को समेटे हुए है। यह दिन हमें न केवल अपने अतीत से जोड़ता है बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि हमने किन संघर्षों से आज का वर्तमान हासिल किया है।

इस ऐतिहासिक दिन को याद करते हुए हमें अपने देश, संस्कृति और धरोहरों की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इन गौरवशाली पलों से प्रेरणा ले सकें।


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