'भगवान का अपना देश' कहा जाने वाला केरल जहा समुद्री तटों ,हिल स्टेशन और बैकवाटर के अलावा बड़ी संख्या में मौजूद प्राचीन मंदिर पर्यटकों को काफी ज्यादा आकर्षित करते हैं।
केरल के चालकुडी में मौजूद पिसरिक्कल भगवथी मंदिर करीब हजार साल पुराना है। ये तीर्थ केरल के 108 दुर्गा मंदिरों की सूची में शामिल है। इस मंदिर में वानदुर्गा और भगवती की दो मुख्य मूर्तियां शामिल हैं। आमतौर पर सभी भक्त इन्हें भद्रकाली अम्मन कहते हैं।
अम्मन की प्रतिमा के अलावा यहां भगवान शिव और गणपति की मूर्ति भी स्थापित है। मुख्य मूर्ति के हाथ में शंख और चक्र है। यहां सालाना त्योहार “मीनम” भव्य तरीके से हर साल मनाया जाता है। त्योहार के आठवें दिन लड़कियां तेल के दीपक, फूल और हल्दी से देवी की पूजा करती हैं।
यहां नवरात्रि के मौके पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां सुबह से शाम 5 बजे तक ही दर्शन किए जा सकते हैं।
एक मान्यता के अनुसार ,एक प्रसिद्ध संत ने अपनी सिद्धि को माता को समर्पित कर दिया था जिससे सांप के काटने के जहर का असर खत्म हो जाता था |
इस वजह से इसे विष हरिक्कल अम्मा से भी जाना जाता था। जो बाद में बदलकर पिसरिक्कल हो गया। अभी भी यहां के प्रसाद का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। मलायम कलैंडर के थूलम महीने में आने वाली अमावस्या को दोपहर में यहां स्नान और दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है, जिसे ववरावृत्त कहा जाता है।