दुल्हन के माथे पर सिंदूर पवित्र निशानी है क्योंकि वह अपने जीवन के बाकी दिनों में दुल्हन के रूप में अपनी यात्रा शुरू करती है। आपने बॉलीवुड के सिनेमा में अक्सर सिन्दूर का महत्त्व जाना होगा जैसे की अब तक का सबसे प्रसिद्ध डायलॉग “एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तुम क्या जानो” ॐ शांति ॐ सिनेमा से ,या सिन्दूर फिल्म और जाने क्या नहीं | इसे भारतीय घरों में विवाह का प्रतीक माना जाता है और महिला के विवाह का एक अनिवार्य हिस्सा है। प्राचीन लोककथाओं ने सुझाव दिया कि जो लोग मांग- भर के सिंदूर पहनते हैं, उन्हें उनके पति की दुल्हन के रूप में सम्मानित किया जाता है। पारंपरिक हिंदू समाज में, शादी के बाद हर महिला को सिंदूर पहनना जरूरी माना जाता है। यह एक महिला द्वारा अपने पति की दीर्घायु की इच्छा व्यक्त करने के लिए किया गया था। यही कारण है कि विधवाएं सिंदूर नहीं पहनती हैं। लाल वह रंग है जो भारतीय पौराणिक कथाओं में सती और पार्वती की ऊर्जा को दर्शाता है। सती को आदर्श हिंदू पत्नी का प्रतीक कहा जाता है जो अपने पति की खातिर अपनी जान भी दे सकती है। हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से देवी पार्वती का 'अखंड सौभाग्य' वाला आशीर्वाद मिलेगा। ऐसा कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर पांच स्थानों पर निवास करती हैं जिनमें से एक माथा है | कुमकुम को माथे पर लगाना देवी का सम्मान करने का एक तरीका है। देवी लक्ष्मी परिवार के लिए सौभाग्य और धन का आशीर्वाद देती है |
वैज्ञानिक तौर पर भी सिन्दूर का काफी महत्व है जैसे एक महिला सिंदूर लगाती है जहां उसका अजना चक्र या ब्रह्म स्थली है। वहां हल्दी और सिन्दूर लगाने से वह शांत भाव में रहती है |
यह रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए अच्छा होता है | तो अब आप एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तो समाज ही गए होंगे |