भारत की प्राचीन संस्कृति में कहा गया है कि दूसरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हमें हमेशा हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करना चाहिए। यह अभिवादन न केवल मनुष्य को बल्कि नदियों, पहाड़ों, पेड़ों, जानवरों और पक्षियों आदि को भी देना चाहिए। ऐसा करके हम उनका सम्मान कर रहे थे और उनका धन्यवाद भी कर रहे थे कि उनकी वजह से आज हम एक अच्छा जीवन जी रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को भूलकर भी हमारा अभिवादन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। आखिर कौन हैं वो लोग, जिनका अभिवादन हमें नहीं करना चाहिए? चलो पता करते हैं।
सदाचारी व्यक्तियों को ही नमन
शास्त्रों के अनुसार सदाचारी स्त्री-पुरुष ही साष्टांग प्रणाम के पात्र हैं। दुष्ट और दुराचारी लोगों का कभी भी अभिनंदन नहीं करना चाहिए।
व्याग्रपदा स्मृति के अनुसार उल्टी, जम्हाई या पेशाब करते समय भी किसी के सामने झुकना मना है।
नास्तिक व्यक्ति को कभी अभिवादन नहीं करना चाहिए। अच्छे कर्मों के बदले बुरे कर्म करने वाले लोगों को भी सज्दा नहीं करना चाहिए।
इन लोगों का अभिवादन करने से बचें
अपना भोजन करते समय दूसरों का भोजन करते समय झुकना नहीं चाहिए। गर्भपात कराने वाली या पति की हत्या करने वाली महिला के सामने झुकना भी मना है।
जो पापी हैं, पाखंड करते हैं, यज्ञोपवीत के नियत समय का उल्लंघन करते हैं, दुष्ट स्वभाव वाले हैं या जूते पहनकर मंदिर में प्रवेश करते हैं, उन्हें भी मरना नहीं चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति दुष्टों का अभिवादन करता है तो वह स्वयं अशुद्ध हो जाता है और केवल चौबीसों घंटे उपवास करके ही शुद्ध हो सकता है।
ग़लत
महर्षि व्याघ्रपाद कहते हैं कि जो हाथ मिला कर या हाथ मिला कर अभिवादन करते हैं, वे पाप के भागी बन जाते हैं। एक हाथ से अभिवादन करने पर वे अपने पूरे जीवन में अर्जित पुण्य पल भर में खो देते हैं।
इसलिए किसी भी व्यक्ति का अभिवादन हमेशा दोनों हाथ जोड़कर ही करना चाहिए, इस दौरान सम्मान की निशानी के तौर पर सिर झुकाना भी जरूरी है।