मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सऊदी अरब के मक्का में हज करने गए 1000 लोगों की गर्मी से मौत हो गई है। न्यूज एजेंसी AFP ने अलग-अलग देशों के आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी। एक अरबी डिप्लोमैट ने बताया कि मरने वालों में करीब 658 हाजी अकेले मिस्र के हैं। वहीं 1400 लोग अब भी लापता हैं। हालांकि सऊदी अरब की तरह से अब तक मरने वालों की संख्या को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है। मिडिल ईस्ट में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मक्का में 17 जून को तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं 18 जून को थोड़ी राहत के साथ पारा 47 डिग्री रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, 12 से 19 जून तक चले हज के बीच 70 भारतीय यात्रियों की भी मौत हुई है। हज कमेटी ऑफ इंडिया के मुताबिक, इस साल सबसे ज्यादा 1,75,000 भारतीय हज यात्रा के लिए मक्का पहुंचे। केरल के हज मंत्री अब्दुर्रहीमन ने बुधवार को केंद्र सरकार से भारतीयों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके लिए उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर और जेद्दाह में मौजूद भारत के वाणिज्य दूतावास को खत लिखा। केरल से करीब 18 हजार 200 हाजी सऊदी अरब गए थे। मंत्री अब्दुर्रहीमन ने लिखा कि जेद्दाह पहुंचने के बाद हाजियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें 30 किमी दूर असीसी जाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। इसके अलावा वहां रुकने की व्यवस्था भी ठीक तरह से नहीं की गई थी।
तो वहीं, AFP के मुताबिक, जिन हाजियों की मौत हुई है उनमें इंडोनेशिया, जॉर्डन, ईरान और ट्यूनीशिया के भी नागरिक हैं। सऊदी डिप्लोमैट्स ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि मरने वालों में मिस्र के यात्रियों की तादाद इसीलिए ज्यादा है, क्योंकि इनमें कई ऐसे हैं जिन्होंने हज के लिए रजिस्टर नहीं कराया था। हर साल हज पर जाने वाले हजारों यात्री ऐसे होते हैं, जिनके पास इसके लिए वीजा नहीं होता है। पैसों की कमी की वजह से इस तरह के यात्री गलत तरीकों से मक्का पहुंचते हैं। इस महीने की शुरुआत में सऊदी ने बिना रजिस्ट्रेशन वाले हजारों हज यात्रियों को मक्का से हटाया था। सऊदी अरब के अधिकारियों के मुताबिक, मक्का पर जलवायु परिवर्तन का गहरा असर हो रहा है। यहां हर 10 साल में औसत तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। पिछले साल हज पर गए 240 हज यात्रियों की मौत हुई थी। इनमें से ज्यादातर इंडोनेशिया के थे। इस साल करीब 18 लाख हज यात्री हज के लिए पहुंचे हैं। इनमें से 16 लाख लोग दूसरे देशों के हैं।