रविवार को दुनिया की निगाहें फ्लोरिडा पर टिकी थीं, जहां नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की की मेजबानी की। ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह समय या तो युद्ध को पूरी तरह समाप्त करने का है या फिर एक लंबे और खूनी संघर्ष के लिए तैयार रहने का। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अब समझौता नहीं हुआ, तो आने वाले समय में लाखों और लोग अपनी जान गंवा सकते हैं।
पुतिन के साथ लंबी चर्चा और सकारात्मक संकेत
जेलेंस्की से मिलने से ठीक पहले, ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ एक घंटे और 15 मिनट तक फोन पर लंबी बातचीत की। ट्रंप ने इस बातचीत को "बेहद सकारात्मक" बताया। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या पुतिन वास्तव में शांति को लेकर गंभीर हैं, तो ट्रंप का जवाब था— "हाँ, मुझे ऐसा लगता है।"
ट्रंप का मानना है कि जेलेंस्की और पुतिन, दोनों ही नेता अब इस संघर्ष को खत्म करने की मानसिक स्थिति में हैं। उन्होंने कहा, "दोनों नेता चाहते हैं कि यह युद्ध रुक जाए।" ट्रंप ने जेलेंस्की की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक "साहसी व्यक्ति" बताया और कहा कि यूक्रेन के लोगों ने जो झेला है, वैसा किसी देश को नहीं झेलना चाहिए।
वार्ता का 'अंतिम चरण' और जटिलताएं
ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत अब उस बिंदु पर पहुंच गई है जहां से वापसी मुमकिन नहीं है।
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त्रिपक्षीय कूटनीति: ट्रंप न केवल जेलेंस्की से मिल रहे हैं, बल्कि वे पुतिन के साथ भी लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने संकेत दिया कि जेलेंस्की के साथ बैठक के बाद वे दोबारा पुतिन को फोन करेंगे ताकि कड़ियों को जोड़ा जा सके।
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समय सीमा का अभाव: हालांकि ट्रंप ने इसे अंतिम चरण कहा है, लेकिन उन्होंने समझौते के लिए कोई निश्चित तारीख या समय सीमा तय नहीं की है। उनका मानना है कि जल्दबाजी के बजाय एक स्थायी समाधान जरूरी है।
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यूरोपीय नेताओं की भूमिका: ट्रंप ने इस बात की भी पुष्टि की कि उन्होंने इस संबंध में यूरोपीय देशों के नेताओं से भी चर्चा की है, क्योंकि यूक्रेन की सुरक्षा और पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
आगे की राह: क्या होगा शांति का फॉर्मूला?
शांति वार्ता के "अंतिम चरण" में होने का मतलब है कि अब मेज पर वे कठिन सवाल हैं जिन्हें अब तक टाला गया था— जैसे सीमाओं का निर्धारण, सुरक्षा गारंटी और नाटो की सदस्यता। जेलेंस्की ने भी संकेत दिया है कि सैन्य आयामों और सुरक्षा गारंटी पर काफी हद तक सहमति बन चुकी है। ट्रंप की मध्यस्थता अब इस बात पर टिकी है कि वह पुतिन को कितनी रियायतें देने और जेलेंस्की को कितनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राजी कर पाते हैं।
निष्कर्ष
मार-ए-लागो की यह बैठक केवल दो नेताओं की मुलाकात नहीं, बल्कि एक वैश्विक संकट को टालने का प्रयास है। ट्रंप का पुतिन पर 'पूरा भरोसा' जताना और जेलेंस्की की बहादुरी की तारीफ करना यह दर्शाता है कि अमेरिका अब एक 'बैलेंसर' की भूमिका में है। यदि ट्रंप की यह कूटनीति सफल रहती है, तो यह सदी का सबसे बड़ा शांति समझौता होगा।