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नेपाल की राजनीति में नया मोड़, आम चुनाव से पहले दो मधेसी पार्टियों JSP-LSP का विलय

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Posted On:Monday, December 29, 2025

नेपाल में सत्ता के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। आगामी आम चुनावों की सरगर्मी के बीच रविवार को दो महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पहली बड़ी खबर मधेस राजनीति के दो ध्रुवों के एक होने की है, और दूसरी राजधानी काठमांडू के मेयर बालेन शाह का राष्ट्रीय राजनीति के शिखर की ओर कदम बढ़ाना है।

1. मधेसी राजनीति में नया अध्याय: JSP और LSP का विलय

नेपाल के तराई (मधेस) क्षेत्र की दो सबसे प्रमुख पार्टियाँ—महंत ठाकुर के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) और उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (JSP)—ने विलय का ऐतिहासिक निर्णय लिया है।

  • उद्देश्य: दोनों नेताओं द्वारा जारी संयुक्त बयान के अनुसार, यह विलय संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य को मजबूत करने के लिए किया गया है। इनका लक्ष्य संघवाद, पहचान आधारित राजनीति, और आनुपातिक समावेशिता जैसे मुद्दों को नई धार देना है।

  • रणनीतिक महत्व: मधेस क्षेत्र नेपाल की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है। अलग-अलग लड़ने से वोटों का बिखराव होता था, जिसका फायदा बड़ी पार्टियों (NC और CPN-UML) को मिलता था। अब एकजुट होकर यह नया गठबंधन मधेस में एक 'किंगमेकर' की भूमिका निभा सकता है।

2. बालेन शाह: प्रधानमंत्री पद के नए दावेदार

काठमांडू महानगरपालिका के स्वतंत्र और बेहद लोकप्रिय मेयर बलेंद्र शाह (बालेन) ने अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमाने की तैयारी कर ली है। उन्होंने रवि लामिछाने के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) के साथ हाथ मिलाया है।

  • समझौते की शर्तें: बालेन शाह को इस गठबंधन द्वारा आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया गया है। बालेन का समूह अब RSP के चुनाव चिन्ह 'घंटी' पर चुनाव लड़ेगा।

  • युवा शक्ति का उदय: बालेन और रवि लामिछाने दोनों ही नेपाल के पारंपरिक राजनीतिक घरानों के खिलाफ 'परिवर्तन' के प्रतीक माने जाते हैं। बालेन का आरएसपी में विलय करना यह दर्शाता है कि वे केवल स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि देश की बागडोर संभालने के इच्छुक हैं।

3. चुनावी समीकरणों पर प्रभाव

नेपाल में 5 मार्च को होने वाले चुनाव त्रिकोणीय होने की संभावना है:

  1. सत्ताधारी और पारंपरिक दल: नेपाली कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों का पुराना वर्चस्व।

  2. वैकल्पिक राजनीति: बालेन शाह और आरएसपी का गठबंधन, जो युवाओं और शहरी मतदाताओं के बीच बेहद लोकप्रिय है।

  3. क्षेत्रीय ताकत: मधेस की एकीकृत पार्टी, जो दक्षिण नेपाल के हितों की रक्षा का दावा करती है।


निष्कर्ष

नेपाल की राजनीति अब 'पुराने बनाम नए' के दौर में प्रवेश कर चुकी है। एक तरफ मधेसी दलों का विलय पहचान की राजनीति को नया जीवन दे रहा है, वहीं बालेन शाह की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी ने पारंपरिक राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है। 5 मार्च के नतीजे यह तय करेंगे कि नेपाल स्थिरता की ओर बढ़ेगा या सत्ता की यह नई खींचतान किसी नए राजनीतिक संकट को जन्म देगी।


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