मुंबई, 2 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को अपनाने के तरीके में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां अब यह पहल कर्मचारियों की बजाय कंपनियों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा की जा रही है। यह बात माइक्रोसॉफ्ट इंडिया की सीओओ (COO) हिमानी अग्रवाल ने एक हालिया रिपोर्ट, माइक्रोसॉफ्ट वर्क ट्रेंड इंडेक्स (WTI) 2025 में उजागर की है।
अग्रवाल के अनुसार, जब एआई को अपनाने का नेतृत्व कंपनियों के प्रमुख करते हैं, तो इससे इसके कार्यान्वयन में गंभीरता आती है और इसके परिणामस्वरूप कारोबार में अधिक ठोस रिटर्न मिलता है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है क्योंकि पहले एआई को अक्सर कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते थे।
यह बदलाव क्यों हो रहा है? पीडब्ल्यूसी इंडिया के मनप्रीत सिंह आहूजा और एलटीआईमाइंडट्री (LTIMindtree) के राजेश कुमार आर जैसे उद्योग विशेषज्ञों ने इस बदलाव का समर्थन करते हुए कहा है कि नेता अब एआई को व्यक्तिगत स्तर पर इस्तेमाल करके इसके प्रति अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहे हैं।
हालांकि, बड़ी कंपनियों में जेनरेटिव एआई को पूरी तरह से लागू करने में अभी भी कुछ चुनौतियाँ हैं। एमआईटी (MIT) के एक अध्ययन के अनुसार, उद्यमों में एआई का एकीकरण अक्सर दोषपूर्ण होता है। इन चुनौतियों के बावजूद, विशेषज्ञों का सुझाव है कि "तेजी से विफल होने" (fail fast) की संस्कृति को बढ़ावा देना और डेटासेट को सही ढंग से व्यवस्थित करना सफल एआई स्केलिंग के लिए महत्वपूर्ण है।
अग्रवाल ने यह भी बताया कि हालांकि नई तकनीक की शुरुआती लागत अधिक होती है, लेकिन इसके व्यापक रूप से अपनाने के साथ-साथ यह लागत कम होती जाती है। यह दिखाता है कि कंपनियों के प्रमुख एआई को केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि दीर्घकालिक निवेश के रूप में देख रहे हैं।
यह बदलाव स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एआई अब केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं रह गया है, बल्कि यह एक रणनीतिक व्यावसायिक आवश्यकता बन गया है, जिसका नेतृत्व अब शीर्ष स्तर से हो रहा है ताकि बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकें।