हाल ही में भारत सरकार ने अंतरिक्ष स्टार्टअप्स और एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के प्रौद्योगिकी अपनाने कोष की घोषणा की है। इस फंड के तहत स्टार्टअप्स को परियोजना लागत का 60% तक वित्तीय सहायता मिलेगी और बड़े उद्योगों को 40% तक वित्तीय सहायता मिलेगी, जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम वित्तपोषण सीमा 25 करोड़ रुपये होगी।<br /> <br /> यह विशेष घोषणा क्यों की गई?<br /> अंतरिक्ष विभाग की एक शाखा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र यानी IN-SPACe ने बुधवार को इस फंड की घोषणा की। इसका उद्देश्य स्टार्टअप्स द्वारा विकसित प्रारंभिक चरण की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों को अंतिम उत्पादों में बदलने में सहायता करना है।<br /> <br /> आईएन-स्पेस ने एक बयान में कहा कि घरेलू अनुसंधान और विकास में निवेश करके, टीएएफ सरकारी निकायों और निजी क्षेत्र के बीच एक मजबूत साझेदारी बनाएगा और भारत को अंतरिक्ष उद्योग में एक वैश्विक भागीदार के रूप में स्थापित करेगा।<br /> <br /> स्टार्टअप्स और उद्योगों के लिए लाभ<br /> इन-स्पेस के चेयरमैन पवन गोयनका ने कहा कि इस फंड से कंपनियों को अपनी तकनीक सुधारने, उत्पादन क्षमता बढ़ाने और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। इस पहल का अंतरिक्ष और रक्षा स्टार्टअप्स द्वारा स्वागत किया गया है। उनका मानना है कि यह फंड, रक्षा मंत्रालय के iDEX कार्यक्रम और 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी कोष के साथ मिलकर भारतीय डीपटेक और स्पेसटेक उद्योग को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है।<br /> <br /> अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका<br /> यह कोष भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के निजीकरण को बढ़ावा देगा तथा देश में विशेष अंतरिक्ष घटकों के विनिर्माण में मदद करेगा। इससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष बाज़ार में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर सकेगा।