हैदराबाद स्थित एस्ट्रा माइक्रोवेव के कैंपस में कदम रखते ही आपको किसी भारी कारखाने जैसा माहौल नहीं मिलेगा। यहाँ की शांति और 'क्लीन रूम्स' (Clean Rooms) इस बात का प्रमाण हैं कि यहाँ माइक्रोन-लेवल की सटीकता पर काम होता है। यहाँ तैयार होने वाले छोटे-छोटे माइक्रोवेव पुर्जे ही वह 'दिमाग' हैं, जो हवा में उड़ती मिसाइल को रास्ता दिखाते हैं या दुश्मन के रडार को चकमा देते हैं।
1. पर्दे के पीछे की महाशक्ति
अक्सर हम ब्रह्मोस मिसाइल या तेजस फाइटर जेट की रफ्तार और मारक क्षमता की चर्चा करते हैं, लेकिन इन हथियारों को 'देखने' और 'सुनने' की शक्ति एस्ट्रा माइक्रोवेव जैसे सब-सिस्टम्स से मिलती है।
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मिसाइल सीकर (Missile Seekers): मिसाइल की नाक पर लगा वह हिस्सा जो लक्ष्य को ट्रैक करता है।
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रडार मॉड्यूल: जो हजारों किलोमीटर दूर उड़ रहे विमान की पहचान करते हैं।
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इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW): दुश्मन के सिग्नल्स को जैम करने वाली तकनीक।
2. आयात से आत्मनिर्भरता का सफर
90 के दशक में भारत RF (Radio Frequency) और माइक्रोवेव पुर्जों के लिए पूरी तरह विदेशों पर निर्भर था। ये उपकरण इतने संवेदनशील होते हैं कि इन्हें अत्यधिक गर्मी, अंतरिक्ष के रेडिएशन और युद्ध की भीषण परिस्थितियों में बिना फेल हुए काम करना होता है। एस्ट्रा ने तब इस चुनौती को स्वीकार किया जब बड़ी कंपनियां भी इस 'हाई-रिस्क' इंजीनियरिंग से बच रही थीं।
3. इंजीनियरिंग की वह ताकत जिसे बदला नहीं जा सकता
एस्ट्रा का मुख्य फोकस हाई-वैल्यू, लो-वॉल्यूम प्रोडक्ट्स पर है।
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सटीकता: यहाँ एक मिलीमीटर की त्रुटि का मतलब है करोड़ों रुपये के मिसाइल सिस्टम का फेल होना।
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एंट्री बैरियर: एक बार जब एस्ट्रा का कंपोनेंट किसी मिसाइल या सैटेलाइट के डिजाइन का हिस्सा बन जाता है, तो उसे बदलना लगभग नामुमकिन होता है क्योंकि पूरा सिस्टम उसी की फ्रीक्वेंसी पर 'ट्यून' होता है। यही कारण है कि इस कंपनी के पास 'कस्टमर लॉयल्टी' का मजबूत आधार है।
4. वित्तीय मजबूती और ऑर्डर बुक
कंपनी के आंकड़े उसकी तकनीकी सफलता की कहानी कहते हैं:
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आय (Revenue): वित्त वर्ष 2025 में आय 1,051 करोड़ रुपये के पार।
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मुनाफा (Profit): पिछले 3 वर्षों में 58% की शानदार CAGR वृद्धि।
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ऑर्डर बुक: 1,900 करोड़ रुपये से अधिक के पेंडिंग ऑर्डर्स, जो अगले 2-3 साल की स्थिरता सुनिश्चित करते हैं।
5. डिफेंस से आगे: एक 'डीपटेक' पहचान
एस्ट्रा को केवल डिफेंस कंपनी कहना गलत होगा; यह वास्तव में एक डीपटेक (DeepTech) कंपनी है। माइक्रोवेव इंजीनियरिंग का उपयोग केवल युद्ध में ही नहीं, बल्कि ISRO के सैटेलाइट पेलोड्स, सुरक्षित संचार (Secure Communication) और 5G/6G जैसे आधुनिक नागरिक क्षेत्रों में भी होता है। निजी स्पेस कंपनियों के उदय के साथ, एस्ट्रा के लिए अंतरिक्ष का एक नया बाजार खुल गया है।