7वें वेतन आयोग ने भारतीय वेतन संरचना में 'पे-मैट्रिक्स' (Pay Matrix) और 'फिटमेंट फैक्टर' जैसे नए शब्दों को जोड़ा। इसने न केवल गणना के तरीके को बदला, बल्कि ग्रेड पे की पेचीदगियों को खत्म कर पारदर्शिता लाने का प्रयास किया।
1. संरचनात्मक बदलाव: ग्रेड पे से पे-मैट्रिक्स तक
6वें वेतन आयोग तक सैलरी 'पे-बैंड' और 'ग्रेड पे' के आधार पर तय होती थी। 7वें वेतन आयोग ने इसे हटाकर एक विस्तृत पे-मैट्रिक्स टेबल पेश की।
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फिटमेंट फैक्टर: सरकार ने 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया। इसका अर्थ था कि पुराने बेसिक पे को 2.57 से गुणा कर नई बेसिक पे तय की गई।
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न्यूनतम वेतन: लेवल-1 (ग्रुप डी) के लिए न्यूनतम मूल वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर सीधे 18,000 रुपये कर दिया गया।
2. 10 साल का तुलनात्मक विश्लेषण: 2015 बनाम 2025
अगर हम लेवल-1 के एक औसत कर्मचारी की सैलरी का विश्लेषण करें, तो तस्वीर कुछ इस तरह उभरती है:
| घटक |
6वां वेतन आयोग (दिसंबर 2015) |
7वां वेतन आयोग (दिसंबर 2025) |
बदलाव (%) |
| मूल वेतन (Basic) |
₹8,800 (Grade Pay सहित) |
₹18,000 |
~104% |
| महंगाई भत्ता (DA) |
₹10,400 (119% पर) |
₹10,440 (58% अनुमानित पर) |
लगभग समान |
| HRA (X-Category) |
~₹2,600 |
~₹5,400 (30% पर) |
~107% |
| कुल वेतन (अनुमानित) |
₹22,000 |
₹34,000 |
~55% |
नोट: उपर्युक्त गणना में परिवहन भत्ता और अन्य विशेष भत्ते शामिल नहीं हैं।
3. महंगाई का असर और वास्तविक बढ़ोतरी
आंकड़ों को देखने पर लगता है कि सैलरी 55% बढ़ी है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा महंगाई की भेंट चढ़ गया। 6वें वेतन आयोग के अंत में DA 119% था, जबकि आज यह 50% की सीमा पार कर चुका है (नियमों के अनुसार 50% होने पर इसे बेसिक में मर्ज करने की मांग उठती रही है)। 10 साल पहले भी कर्मचारी को DA के रूप में करीब 10 हजार मिल रहे थे और आज भी उतनी ही रकम मिल रही है, बस प्रतिशत का आधार बदल गया है।
4. 8वें वेतन आयोग से क्या हैं उम्मीदें?
31 दिसंबर 2025 को 7वां वेतन आयोग अपना कार्यकाल पूरा कर रहा है। नियमानुसार हर 10 साल में नया वेतन आयोग आना चाहिए। कर्मचारियों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
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फिटमेंट फैक्टर में वृद्धि: कर्मचारी संगठन इसे 2.57 से बढ़ाकर 3.68 करने की मांग कर रहे हैं।
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न्यूनतम वेतन: 8वें वेतन आयोग में न्यूनतम बेसिक पे को 18,000 से बढ़ाकर 26,000 से 30,000 रुपये के बीच रखने की उम्मीद है।
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वेतन विसंगतियां: पे-मैट्रिक्स के ऊंचे स्तरों और निचले स्तरों के बीच के अंतर को कम करना।