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इंडसइंड बैंक में हिस्सेदारी खरीदेगा HDFC Bank, मिल गई RBI की मंजूरी; ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?

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Posted On:Tuesday, December 16, 2025

मुंबई: देश के बैंकिंग सेक्टर में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) और उसकी ग्रुप कंपनियों को इंडसइंड बैंक (IndusInd Bank) में कुल 9.50% तक हिस्सेदारी रखने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी 15 दिसंबर को जारी एक पत्र के माध्यम से दी गई है और यह 14 दिसंबर, 2026 तक, यानी पूरे एक साल के लिए वैध रहेगी।

RBI द्वारा दी गई इस अनुमति में एक स्पष्ट शर्त है: एचडीएफसी बैंक ग्रुप की कुल हिस्सेदारी (Aggregate Holding) किसी भी समय इंडसइंड बैंक की पेड-अप शेयर कैपिटल या वोटिंग राइट्स के 9.50% से अधिक नहीं होनी चाहिए। एचडीएफसी बैंक ने स्पष्ट किया है कि यह कदम ग्रुप कंपनियों के सामान्य कारोबार का हिस्सा है और इसका ग्राहकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कौन सी ग्रुप कंपनियां करेंगी निवेश?

आरबीआई की यह मंजूरी एचडीएफसी बैंक और उसकी उन सभी ग्रुप कंपनियों की सामूहिक या "एग्रीगेट होल्डिंग" को कवर करती है, जिनमें एचडीएफसी बैंक प्रमोटर या स्पॉन्सर की भूमिका निभाता है। जिन प्रमुख संस्थाओं को यह अनुमति मिली है, उनमें शामिल हैं:

  • एचडीएफसी म्यूचुअल फंड

  • एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

  • एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

  • एचडीएफसी पेंशन फंड मैनेजमेंट लिमिटेड

  • एचडीएफसी सिक्योरिटीज लिमिटेड

RBI के 'कमर्शियल बैंक – शेयरों या वोटिंग अधिकारों का अधिग्रहण और होल्डिंग) निर्देश, 2025' के अनुसार, "कुल होल्डिंग" में खुद बैंक के साथ-साथ एक ही मैनेजमेंट या नियंत्रण के तहत कॉर्पोरेट निकाय, म्यूचुअल फंड, ट्रस्टी और प्रमोटर ग्रुप संस्थाओं की शेयरहोल्डिंग शामिल होती है।

निवेश बढ़ाने की क्यों पड़ी जरूरत?

एचडीएफसी बैंक ने यह साफ किया है कि उसका खुद इंडसइंड बैंक में सीधे निवेश करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, चूंकि यह आशंका थी कि उसकी ग्रुप एंटिटीज का कुल निवेश आरबीआई द्वारा निर्धारित पिछली 5% की सीमा को पार कर जाएगा, इसलिए बैंक ने निवेश की अनुमत सीमा बढ़ाने के लिए आरबीआई से आवेदन किया था।

यह आवेदन ग्रुप एंटिटीज की ओर से 24 अक्टूबर, 2025 को जमा किया गया था। बैंक ने इस बात पर जोर दिया कि उसकी ग्रुप एंटिटीज द्वारा किया जाने वाला निवेश उनके सामान्य कारोबार का हिस्सा है और वे बाजार में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए ऐसा करती हैं।

यह कदम बैंकिंग सेक्टर में बड़े वित्तीय संस्थानों के बीच क्रॉस-होल्डिंग (Cross-Holding) के बढ़ते महत्व को दर्शाता है। आरबीआई की यह मंजूरी एचडीएफसी ग्रुप की संस्थाओं को इंडसइंड बैंक में अपनी रणनीतिक उपस्थिति बनाए रखने और निवेश पोर्टफोलियो को मजबूत करने की अनुमति देती है।


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